
सूरत : 13 सितंबर, 2024 को सूरत के नानपुरा क्षेत्र में आये हुए एसआरके हॉल में प्रसिद्ध लेखक श्री हरीश मेहता की पुस्तक “मेवरिक इफेक्ट” के गुजराती वर्ज़न का विमोचन किया गया।
उल्लेखनीय है कि श्री हरीश मेहता द मेवरिक इफेक्ट: द इनसाइड स्टोरी ऑफ इंडियाज आईटी रेवोल्यूशन के लेखक, देवांग मेहता फाउंडेशन ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी, ऑनवर्ड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के संस्थापक और NASSCOM के संस्थापक अध्यक्ष हैं। पुस्तक विमोचन के अवसर पर वीर नर्मद साउथ गुजरात यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति श्री दक्षेश ठाकर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इसके अलावा साउथर्न गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसजीसीसीआई) के उपाध्यक्ष श्री निखिल मद्रासी और जीईएसआईए के अध्यक्ष श्री प्रणव पंड्या ने भाषण दिया। श्री हरीश मेहता के साथ श्री कमलेश याग्निक, बीएफएसआई टेक्नोक्रेट, पूर्व अध्यक्ष एसजीसीसीआई, अध्यक्ष – सार्वजनिक यूनिवर्सिटी, गुजराती साहित्य के प्रतिपादक, एसआरके नॉलेज फाउंडेशन के अध्यक्ष की फायर चैट आयोजित की गई। इसके अलावा उपस्थित दर्शकों से संवाद भी किया गया।
भारतीय आईटी दिग्गज श्री हरीश मेहता को 1988 में NASSCOM के सह-संस्थापक द्वारा भारत में आईटी उद्योग को बढ़ावा देने के पीछे प्रेरक शक्ति के रूप में पहचाना जाता है।वह NASSCOM के पहले अध्यक्ष के रूप में चुने गए और NASSCOM अध्यक्ष परिषद के संयोजक थे। श्री हरीश मेहता 2022 के राष्ट्रीय बेस्टसेलर ‘द मेवरिक इफेक्ट’ के पुरस्कार विजेता लेखक भी हैं, जिसने एक मास्टर कहानीकार के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को मजबूत किया।उनकी आज पुस्तक को गुजराती में रूपांतरित किया गया है जिसका विमोचन सूरत में किया गया। इस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में सूरत के कॉलेज प्रिंसिपल, फैकल्टी, छात्र समेत आईटी सेक्टर से जुड़े ज्यादातर लोग मौजूद रहे।
एक समय था जब भारत को “लेंड ऑफ़ स्नेक चामर्स ” कहा जाता था और आज यह “वैश्विक प्रौद्योगिकी केंद्र” बन गया है। डेस्कों पर फाइलों के ढेर वाली धूल भरी औपनिवेशिक इमारतों का स्थान कंप्यूटरों से भरे चमकीले, कांच के कार्यालयों ने ले लिया है।लोग निडर और आत्मनिर्भर हो गये हैं। महज 30 साल की छोटी सी अवधि में बहुत कुछ बदल गया है। इसकी खोज श्री हरीश मेहता की पुस्तक “द मेवरिक इफेक्ट” में की गई है।
लेखक हरीश मेहता कहते हैं, “यह पुस्तक नैसकॉम के नेतृत्व में भारतीय आईटी क्रांति की अनकही कहानी प्रस्तुत करती है जिसे मैंने नैसकॉम के सह-संस्थापक और पहले निर्वाचित अध्यक्ष के रूप में देखा था।पुस्तक में पहले कभी न सुनी गई कहानियाँ भी शामिल हैं। इसके अलावा इस किताब में नैसकॉम नेताओं के अनकहे अनुभव भी शामिल हैं। जबकि भारत के परिवर्तन की कहानियां हर भारतीय तक पहुंचने लायक हैं, पुस्तक में उजागर किए गए अद्वितीय मूल्यों और लोगों के नेतृत्व वाले फ्लाईव्हील को मीडिया सहित किसी भी उद्योग में लागू किया जा सकता है।